Wednesday, February 13, 2008

आंखें तो अभी भी खाली हैं , हालांकी दील लगातार भरता जाता है
भीड़ मे हाथ छूट जाना कोई बड़ी बात नही
साथ का क्या है..अगले मौड़ पे फीर बस स्टॉप है
आखीर समान कीस कीस यात्री की जीम्मेवारी ले अब?

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